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The Haryana Story | श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में द्वैपायन चक्रताल पर रखी जाएगी "मां" शब्द के 51 फुट ऊंचे विराट स्वरूप की नींव, जानें मंदिर की महत्ता

श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में द्वैपायन चक्रताल पर रखी जाएगी "मां" शब्द के 51 फुट ऊंचे विराट स्वरूप की नींव, जानें मंदिर की महत्ता

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी 4 जनवरी को करेंगे भूमिपूजन

प्रतीकात्मक तस्वीर

मां सती के 52 महान शक्तिपीठों में शोभायमान हरियाणा के एकमात्र प्राचीन शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर झांसा रोड कुरुक्षेत्र में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नव वर्ष के आगमन पर सेवा संकल्प दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष मातृ शक्ति को नमन करते हुए श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर परिसर में स्थापित तालाब जिसे द्वैपायन चक्रताल के नाम से संबोधित किया जाता है, इसी द्वैपायन चक्रताल पर भौतिक जगत के सर्वोत्तम शब्द व आदरणीय भाव महागौरवशाली "मां" शब्द के  51 फुट ऊंचे विराट व अद्भुत स्वरूप की नींव रखी जाएगी।

4 जनवरी को भूमि पूजन 

श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर के पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा ने बताया कि नव वर्ष के पहले शनिवार यानि 4 जनवरी को सुबह 11 बजे श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर परिसर में स्थित इस "महागौरव स्थल" पर भूमि पूजन व हवन यज्ञ कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे, वहीं पूर्व राज्य मंत्री सुभाष सुधा वशिष्ठ अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। कार्यक्रम में मुख्य यजमान के रूप में फरीदाबाद के विजय सहगल भाग लेंगे।

"मां" शब्द के 51 फुट विराट व अद्भुत स्वरूप की रखी जाएगी नींव

इन सभी अतिथियों व हजारों माता रानी के भक्तों की मौजूदगी में "मां" शब्द के 51 फुट विराट व अद्भुत स्वरूप की नींव रखी जाएगी। इस दिन हजारों की संख्या में मौजूद सभी भक्त हवन यज्ञ में भी आहुति डालेंगे और भूमि पूजन कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे। मंदिर के पीठाध्यक्ष सतपाल शर्मा ने 4 जनवरी को मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए सभी धर्म प्रेमियों से भी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर भाग लेने का आह्वान किया।

यह मंदिर देवी काली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक

मां भद्रकाली शक्तिपीठ, हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर कस्बे में द्वैपायन झील के शांत और आध्यात्मिक वातावरण में स्थित है। यह मंदिर देवी काली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है और मां भगवती की पवित्रता का प्रतीक है। इसे सावित्री शक्तिपीठ, देविकूप और कालिका पीठ के नाम से भी जाना जाता है।

इस स्थान को शक्तिपीठ का दर्जा  

शिव-सती की प्रसिद्ध कथा के अनुसार, यह मान्यता है कि माता सती का दायां टखना यहां एक कुएं में गिरा था। इसी कारण इस स्थान को शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान में यहां संगमरमर का एक टखने का प्रतीकात्मक मूर्ति मां काली की मुख्य मूर्ति के सामने स्थापित है, जिसे भक्तगण श्रद्धा से पूजते हैं।

मंदिर आधुनिक शैली में बना हुआ  

सावित्री शक्तिपीठ का मंदिर आधुनिक शैली में बना हुआ है, जिसमें एक मुख्य शिखर और दो छोटे शिखर हैं। मुख्य शिखर की ऊंचाई लगभग 80-100 फीट है। मंदिर का आधार सफेद रंग में है, जबकि ऊपरी भाग को लाल, नारंगी, सुनहरे और काले रंगों से सजाया गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार से एक सीधा रास्ता लगभग 100 मीटर लंबा है, जहां वाहन पार्क किए जा सकते हैं। रास्ते के दाईं ओर एक पार्क और बाईं ओर खुला क्षेत्र है। 

प्रसाद और परिक्रमा

मंदिर के प्रवेश द्वार के पास प्रसाद की दुकान और एक हैंड वॉश एरिया है। यहां से भक्तगण घोड़े की मूर्तियां और अन्य प्रसाद खरीदकर मां भद्रकाली को अर्पित करते हैं। मुख्य मंदिर कक्ष में प्रवेश करने पर एक गोलाकार क्षेत्र में कमल का सुंदरीकरण किया गया है, जिसके चारों ओर घोड़ों की मूर्तियां हैं। मंदिर कक्ष में मां भद्रकाली की मुख्य मूर्ति और प्रवेश द्वार पर दाएं टखने की धातु की मूर्ति स्थापित है। भक्तगण यहां सिर झुकाकर परिक्रमा करते हैं और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा करते हैं, जिनमें मां सरस्वती, मां गायत्री आदि शामिल हैं।

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