हरियाणा में मौसम विभाग ने 7 जिलों के लिए घने कोहरे का यलो अलर्ट जारी किया है, जिससे 48 घंटे के बाद फिर से कोल्ड डे की शुरुआत हो गई है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से मौसम में बदलाव हो रहा है। इस बदलाव के साथ, 30 जनवरी से हरियाणा के अधिकांश जिलों में बादल छाएंगें, साथ ही 5 फरवरी तक बारिश के आसार बने रहेंगे।
रविवार को प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में हल्का कोहरा व बादल छाए रहे, जिससे दिन के औसत तापमान में 4.8 डिग्री की गिरावट आई। मौसम विशेषज्ञ के अनुसार, आने वाले दिनों में मौसम में काफी बदलाव आएगा।
इस संबंध में दो दिनों की धूप निकलने से दिन के समय राहत मिल रही थी, जिससे दिन का तापमान सामान्य से ऊपर या इसके करीब पहुंचा था। शनिवार रात को उत्तर पर्वतीय क्षेत्रों में कमजोर श्रेणी का पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ है, जिसके असर से प्रदेश के औसत न्यूनतम तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोतरी हुई और यह सामान्य के करीब रहा। वहीं, औसत अधिकतम तापमान में 4.8 डिग्री की गिरावट आई, जिसके साथ यह सामान्य से 4.2 डिग्री कम रहा।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 8 सालों में इस बार पहली बार है जब जनवरी में बारिश नहीं हुई है, और इससे हरियाणा ने एक महीने का सूखा भी महसूस किया है।इस ताजगी के साथ हरियाणा में यह बारिश की कमी के लिए आंदोलन के बजाय चिंता की जा रही है, क्योंकि इससे खेतों को नुकसान हो सकता है और सिर्फ़ 8 साल के बाद हरियाणा में एक महीने का सूखा दर्ज किया गया है। यहाँ लोगों को खेती और पानी संरक्षण की आवश्यकता की बातें आ रही हैं।
सूखा के मामले में मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि बारिश की कमी के बावजूद, पश्चिमी विक्षोभ के बदलते प्रभाव के चलते हरियाणा में आने वाले दिनों में बारिश की आसार बनी रहेगी।इसी समय, ताजगी की खबर है कि मौसम की मेज़बानी में एक महीने का सूखा का दृश्य देखने के बाद लोगों में चिंता बढ़ रही है, क्योंकि यह खेतों में नुकसान कर सकता है और सिर्फ 8 साल के बाद हरियाणा में एक महीने का सूखा दर्ज किया गया है।
इस बारिश की कमी से उत्पन्न समस्याएं किसानों और ग्रामीण इलाकों में भूमि संरक्षण और पानी की बचत की जरूरत को लेकर बढ़ी हैं।इस बदलते मौसम में रहकर लोग अपनी जीवनशैली को भी सावधानी से बदल रहे हैं, क्योंकि उन्हें समझ में आ रहा है कि मौसमी बदलावों का सामना करना होगा। इसके साथ ही, कृषि व्यवसायियों को भी नए मौसम के हिसाब से खेती की योजनाएं बनानी होंगी ताकि वे अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकें।
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