स्थानीय जैन मोहल्ला स्थित श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी दिगंबर जैन (छोटा) मंदिर का होगा भव्य शिलान्यास महोत्सव कल प्रातः धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। यह महोत्सव संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री निश्चिन्त सागर महाराज के पावन सानिध्य में होगा। नकारी देते हुए श्री दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष सुनील जैन ने बताया कि महाराज के पावन सानिध्य और आशीर्वाद से यह महोत्सव सम्पन्न होगा आचार्य श्री विद्यासागर जी की महापूजन से महोत्सव प्रारंभ होगा सभी लोगों को शिलान्यास महोत्सव में मंदिर की नींव में स्वर्ण एवं रजत शिला रखने का भी सौभाग्य प्राप्त होगा।
8 नये मंदिर का पुण्य जैसा फल एक प्राचीन मंदिर के नवनिर्माण एवं जीर्णोद्धार से प्राप्त होता
इस अवसर अवसर पर बड़ा जैन मंदिर में विराजमान मुनि निशचिंत सागर महाराज ने कहा कि यह पानीपत वासियों का सौभाग्य है कि प्राचीन मंदिर का नवनिर्माण करने का सभी को अवसर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में वर्णित है कि 8 नये मंदिर का पुण्य जैसा फल एक प्राचीन मंदिर के नवनिर्माण एवं जीर्णोद्धार से प्राप्त होता है। पानीपत जैन समाज का इतिहास स्वर्णिम रहा है यहां प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन होते है जो कि अतिशकारी प्रतिमाएं है।
एक सेठ ने लगभग 200 वर्ष पहले पूरे भारतवर्ष में 108 मंदिरों का निर्माण कराया था
जानकारी देते हुए सचिव मनोज जैन ने बताया कि छोटा मंदिर अति प्राचीन है बताया जाता है कि मंदिर बनाने वाले पुण्यार्जक का नाम आज तक किसी को नहीं पता। स्थानीय निवासी बताते हैं की एक सेठ ने आज से लगभग 200 वर्ष पहले पूरे भारतवर्ष में 108 मंदिरों का निर्माण कराया था और उसने कहीं भी मंदिर बनाने में अपना नाम का जिक्र या प्रशस्ति नहीं लगाया था। वह बताते हैं कि सेठ जी मंदिर निर्माण करते और पूरा मंदिर निर्माण करने के बाद उसकी अंतिम सीढ़ियां नहीं बनाते थे और समाज के आगे यह कह देते कि अब इससे आगे मंदिर बनाने की मेरी क्षमता नहीं अब स्थानीय समाज इसे बनाए। इसके पीछे अभिप्राय यह था कि वह चाहते थे कि उनका कहीं भी नाम ना हो कि मंदिर कभी उन्होंने बनवाया है ना उनमें इस तरह का कोई अहंकार आए इसीलिए वह सब मंदिर बनवाने के बाद अंतिम चरण की सीढ़ियां बना नहीं बनाते थे और समाज को वह मंदिर सुपुर्द कर देते थे।
इस मंदिर में हरियाणा का सबसे बड़ा जैन शास्त्र भण्डार भी स्थापित था
मंदिर 200 वर्ष प्राचीन है मंदिर की प्रतिमाएं बेहद ही प्राचीन प्रतिमाएं हैं। मूल बेदी पर भगवान महावीर स्वामी की सफेद पाषाण से निर्मित प्रतिमा विराजमान है, इस मंदिर में हरियाणा का सबसे बड़ा जैन शास्त्र भण्डार भी स्थापित था। अब इस शास्त्र भण्डार का नाम मां श्री कौशल साधना कक्ष रखा गया था। शास्त्र भंडार में ही मां जिनवाणी का बहुत सुन्दर मंदिर भी बना हुआ था। मंदिर में मूलनायक भगवान महावीर स्वामी के साथ साथ भगवान पारसनाथ, भगवान सुपार्श्वनाथ, भगवान नेमिनाथ, भगवान चंद्रप्रभु और सिद्ध प्रभु भगवान की प्रतिमाएं विराजमान थी जो अस्थाई रूप से बड़े मंदिर जी में विराजमान हैं, निर्माण पूरा होने पर पुनः नवीन मंदिर जी विराजमान कर दी जाएंगी।
जैन शास्त्र भण्डार बहुत ही प्राचीन
मंदिर की प्रतिमाएं ऐसी प्रतीत होती है जैसे आप से वह बातें करती हो सभी प्रतिमाएं मुस्कुराती हुई नजर आती हैं। प्रतिमाएं इतनी चमत्कारी है कि लगातार मंदिर में जोत प्रज्ज्वलित करने से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। एडवोकेट मेहुल जैन ने बताया ऐतिहासिक दृष्टि से प्राचीन मंदिर की प्रतिमाएं और यहां मौजूद जैन शास्त्र भण्डार बहुत ही प्राचीन है उन्होंने बताया कि दूर-दूर से लोग जैन शास्त्र भण्डार में शास्त्र पढ़ने के लिए आते हैं यहां हजारों वर्ष प्राचीन शास्त्र मौजूद हैं। हरियाणा की सबसे बड़ी जैन लाइब्रेरी से भी प्रसिद्ध है यह शास्त्र भण्डार और हस्तलिखित शास्त्र भी इसमें सुरक्षित संजोए गए है। जो कि संस्कृत एंव कुछ उर्दू भाषा में भी लिखित है। उन्होंने कहा कि यह लाइब्रेरी पानीपत के इतिहास को भी संजोए हुए हैं। उन्होंने बताया कि नवनिर्माण कर इस मंदिर में पुनः विशाल रूप शास्त्र भण्डार (लाईब्रेरी) को बनाया जाएगा। हम लोग इस दिशा में भी काम करेंगे की प्राचीन इतिहास को आज के आधुनिक व्यवस्था के अनुरूप समझाया जाए।
जैन लाइब्रेरी में हजारों वर्ष प्राचीन हस्तलिखित शास्त्र मौजूद :
- हरियाणा का सबसे बड़ा जैन शास्त्र भण्डार
- 200 वर्ष प्राचीन है मंदिर
- संस्कृत, प्राकृत एवं उर्दू भाषा में हस्तलिखित शास्त्र
- अति प्राचीन ताडपत्र पर लिखे हुए 11 शास्त्र मौजूद है
- कुल 8000 शास्त्र मौजूद
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