दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें अपनी न्याय प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, कानून सर्वोपरि है। हम सभी कानून के दायरे में आते हैं। प्रधानमंत्री के खिलाफ भी बहुत सारी जांच हुई, लेकिन वह हर जांच में पेश हुए कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि ईडी द्वारा कई बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन भेजे गए। स्वाभाविक है कि उनको उसमें शामिल होना चाहिए था और ईडी के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए था। ऐसा नहीं है कि अरविंद केजरीवाल देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें इस प्रकार से नोटिस मिला हो। इससे पहले भी बहुत लोगों को इस प्रकार से जांच का सामना करना पड़ा। आज देश के जो प्रधानमंत्री हैं, उनके खिलाफ भी बहुत सारी जांच हुई, लेकिन वह हर जांच में पेश हुए। उन्होंने अपनी बात रखीं और काफी लंबी उनसे पूछताछ उस समय हुई। वह पाक साफ थे और जांच में भी बिल्कुल पाक साफ और निर्दोष साबित हुए।
केजरीवाल निर्दोष हैं तो उन्हें पहले नोटिस में ही जाना चाहिए था
अगर अरविंद केजरीवाल निर्दोष हैं तो उन्हें पहले नोटिस में ही जाना चाहिए था और जांच एजेंसी को सहयोग करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि कानून सभी के लिए बराबर है। चाहे वह आम व्यक्ति हो या मुख्यमंत्री, सभी को जांच में सहयोग करना चाहिए। सभी के लिए नियम एक समान हैं। अगर वह निर्दोष हैं तो उनके खिलाफ कुछ नहीं होगा। दिल्ली की शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए बयान पर पलटवार करते हुए कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि यह एक्शन ईडी द्वारा लिया गया है। लोकसभा चुनावों से इसका कोई लेना-देना नहीं है और ना ही कोई डरने डराने वाली बात है। चुनावों की घोषणा से बहुत पहले ही ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटिस दिए गए। जहां तक लोकसभा चुनाव की बात है तो न ही दिल्ली और न ही देश में आम आदमी पार्टी का कोई आधार नहीं है।
हम कितना चंदा लेते हैं, वह सब पारदर्शी होना चाहिए
इलेक्टरल बॉन्ड से ध्यान हटाने के लिए भाजपा ने ऐसा किया है, के सवाल पर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि यह विषय केवल इतना है कि हम कितना चंदा लेते हैं, वह सब पारदर्शी होना चाहिए। पहले चंदे का पता नहीं था कि किसके पास कितना गया। यह सब पार्टियों का निर्णय था, इसमें पारदर्शिता आनी चाहिए। किसी भी दल ने कितना चंदा लिया, वह सबके सामने होगा तो इससे पारदर्शिता आई भी है। अगर कोई पार्टी समझती है कि इसमें और सुधार होना चाहिए, इसमें आने वाले समय में और भी सुधार हो सकता है।
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