चुनाव आते ही राजनीतिक दल हर संभव समर्थन हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसी कड़ी में डेरा सच्चा सौदा और भाजपा के बीच गठबंधन की अफवाहें गर्म रहीं। हालांकि, दोनों पक्षों ने इससे इनकार किया, लेकिन अब एक नया वीडियो सामने आया है जिससे यह मुद्दा फिर से गरमा गया है।
डेरामुखी को 'पिताजी' कहा
वीडियो में कुरुक्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार नवीन जिंदल, डेरामुखी गुरमीत राम रहीम को 'पिताजी' कहकर संबोधित करते हुए उनका आभार व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "धन्य-धन्य सतगुरु तेरा ही आसरा, सभी मेरे प्रेमी भाइयों और बहनों को मेरी राम-राम। मैं बहुत ही आभारी हूं, माननीय पिताजी (राम रहीम) का, जिन्होंने अपना आशीर्वाद दिया।"
डेरा समर्थन की अफवाहें
इस वीडियो के सामने आने से पहले ही, डेरे के सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव से ठीक एक दिन पहले डेरा सच्चा सौदा ने भाजपा को समर्थन करने का फैसला किया था। डेरे ने गुपचुप तरीके से अपने सभी प्रेमियों को हरियाणा में भाजपा को समर्थन करने का संदेश दिया था।
भाजपा का भी दावा है कि डेरे के समर्थन से पार्टी उन सीटों पर मुकाबले में आ गई, जहां वह पिछड़ रही थी। कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार और अंबाला सीटों पर डेरे के समर्थन से परिणाम चौंकाने वाले आए हैं।
विधानसभा चुनाव पर असर संभावित
हालांकि, डेरामुखी पर हाल ही में हत्या मामले में बरी होने के फैसले का असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। भाजपा का मानना है कि इसका असर कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में दिख सकता है। वहीं, साध्वी यौन शोषण और छत्रपति हत्याकांड में सजा काट रहे डेरामुखी ने पैरोल को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका लगाई हुई है, जिस पर 31 जुलाई को सुनवाई है।
2014 में भी मिला था समर्थन
यह पहली बार नहीं है जब डेरा सच्चा सौदा ने भाजपा को समर्थन दिया है। साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में भी डेरे ने भाजपा को खुलकर समर्थन दिया था। उस दौरान भाजपा को 90 में से 47 सीटें मिली थीं। लेकिन 2017 में राम रहीम को सजा हो गई, जिससे डेरा प्रेमी नाराज हो गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 40 सीटें मिलीं और उसे गठबंधन के जरिए सरकार बनानी पड़ी।
भाजपा के लिए महत्व
भाजपा के लिए डेरा समर्थन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि वह हरियाणा में लोकसभा चुनाव में अधिक सीटें जीतना और विधानसभा में बहुमत हासिल करना चाहती है। 2019 में हरियाणा में भाजपा ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार भी वह यही प्रदर्शन करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा, पंजाब में भी डेरा प्रेमियों की अच्छी संख्या है, जहां BJP इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है। ऐसे में डेरा समर्थन से वहां अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर सकती है।
उम्मीदवारों की नियुक्ति पर सवाल
इस वीडियो के सामने आने से डेरा सच्चा सौदा और भाजपा के बीच रिश्तों पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों में यह आशंका है कि क्या डेरे के समर्थन से ही भाजपा ने कुरुक्षेत्र से जिंदल को उम्मीदवार बनाया? क्योंकि जिंदल इससे पहले कभी चुनावी राजनीति में नहीं थे। इसी तरह, कुछ लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या डेरे ने ही अंबाला से बंतो कटारिया और सिरसा से अशोक तंवर जैसे उम्मीदवारों की सिफारिश की थी?
धार्मिक और राजनीतिक गठजोड़
जाहिर है, डेरा सच्चा सौदा जैसे धार्मिक संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच गठजोड़ पर सवाल उठेंगे। ऐसे गठजोड़ लोकतंत्र के लिए हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि वे मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं और चुनावी प्रक्रिया को बिगाड़ सकते हैं। लेकिन, इस तरह के आरोपों का जवाब देते हुए, दोनों पक्षों ने किसी भी तरह के गठजोड़ से इनकार किया है। उनका कहना है कि वे लोकतांत्रिक तरीके से ही चुनाव लड़े हैं और जनता के समर्थन पर निर्भर हैं।
आगे की राह
हालांकि, इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है और इसके आगे के प्रभाव देखने को मिलेंगे। खासकर आगामी विधानसभा चुनावों में, यदि डेरा सच्चा सौदा किसी भी पार्टी का खुलकर समर्थन करता है तो इसका असर दिखेगा। लोगों को भी इस तरह की घटनाओं से सावधान रहना होगा और अपने मताधिकार का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करना होगा। राजनीति और धर्म को अलग रखना महत्वपूर्ण है ताकि लोकतंत्र को बचाया जा सके।
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